रिया की आँखों से आंसू बह रहे थे थोड़ी देर पहले ही उसे लग रहा था कि वह
इस जंगल से बाहर नहीं निकल पाएगी, मगर जंगल में रानी को देखकर वह चौंक गयी थी और
रानी के पीछे पीछे वह जंगल से बाहर निकल आई थे। उसने रानी से कुछ कहना चाहा तो रानी
ने कहा “अभी समय नहीं है, दीदी और मैं अकेली थोड़े ही न आई हूँ, मैं तो मोती के साथ
आई हूँ, मोती यहाँ तक लाया है!” रिया आँखों में आंसू भरे मोती और रानी को देख रही
थी। जंगल में काँटों से फंसकर उसके कपडे भी फट गए थे और उसे ठण्ड भी लग रही थी, वह
चल भी नहीं पा रही थी। रानी ने उसे सहारा दिया, वह धीरे धीरे रानी के साथ मोती के
पीछे पीछे चल रही थी। रिया को सब कुछ याद आ रहा था।
वह अपने मम्मी पापा के साथ दिल्ली से आई थी। दिल्ली में कितनी सुविधाएँ
हैं, कितने बड़े बड़े पार्क थे, कितने बड़े बड़े मॉल! और उसके पास कितने सारे गैजेट
हैं! उसके पास खुद का एक लैपटॉप है। मगर पापा की पोस्टिंग इस छोटे कसबे में होने
से उसे भी कुछ दिनों के लिए यहाँ आना पड़ा था। रिया को याद आ रहा है कि कैसे उसने
यहाँ की हालत देखकर मम्मी पापा के सामने आंधी तूफान मचा दिया था, पापा को दिल्ली
के मुकाबले में इस शहर में बहुत बड़ा घर मिला था, मगर रिया तो कुछ सुनने के लिए ही
तैयार नहीं थी।
“मम्मी, पापा आप लोगों को यहाँ रहना है रहिये, मैं नहीं रहूँगी!” पंद्रह
साल की रिया को जरा भी यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह कितनी बड़ी जिद्द कर रही है।
रिया का कहना था कि वह शुरू से ही बड़े शहरों में रही है, वह कैसे छोटे शहर में रह
सकती थी। पापा की जिद्द थी कि वे बड़ी होती रिया को अकेली दिल्ली में नहीं छोड़ेंगे!
वैसे भी रिया की इस साल दसवीं की बोर्ड की परीक्षा थी और उसके बाद पापा का स्पष्ट
कहना था कि रिया उनके साथ ही रहेगी और रिया के लिए उन्होने वहां का सबसे अच्छा
स्कूल भी खोज लिया था। अब रिया का विरोध करना बेकार था।
जंगल में चलते चलते रिया बार बार रानी का हाथ पकड़ रही थी। वैसे भी रिया
का हाथ रानी ने बहुत मजबूती से पकड़ रखा था, और वह उसे भरोसा दिला रही थी कि वह उसे
कुछ नहीं होने देगी। रिया ने उसकाहाथ बहुत मजबूती से पकड़ रखा था और उसे याद आ रहा
था वह दिन जब वह पहले दिन अपने स्कूल गयी थी। दसवीं में उसके बहुत ही अच्छे ग्रेड
आए थे तो पापा की पोस्ट और अपने ग्रेड के साथ उसे स्कूल में तुरंत ही एडमिशन मिल
गया था। रिया को अपना दिल्ली वाला स्कूल याद आ रहा था, वहां की सहेलियां, दोस्त और
वहां की कैंटीन, जहाँ पर खूब बढ़िया बढ़िया खाने को मिलता था, दिल्ली के मॉल की चमक,
वहां की रंगीनियाँ! सब कुछ! और अब इधर! वह क्या करे? रिया के मन में चिडचिडापन
बहुत बढ़ गया था। उसे न तो पापा का प्यार दिख पा रहा था और न ही और कुछ! इधर वह कुछ
दिनों से देख रही थी कि जैसे ही वह अपना लैपटॉप खोलकर बैठती थी, एक छोटी लड़की रानी
उसके पास आकर खड़ी हो जाती थी। उससे दो तीन बरस तो छोटी रही ही होगी और उसके साथ आ
जाता था मोती।
पता चला वह वहां की आया की बेटी थी, किसी सरकारी स्कूल में पढने जाती थी
और दोपहर का खाना खाकर वापस आ जाती थी। उसके साथ ही उसका कुत्ता मोती आ जाता था। रिया लंच के समय में अपना
लैपटॉप लेकर कोने में आ जाती थी और वहीं वह स्टडी मैटेरियल खोजने लगती। कुछ
प्रोजेक्ट्स के लिए स्कूल में कक्षा 11 और 12 के बच्चों को लैपटॉप लाने की अनुमति
थी।
रिया को रानी की मासूम और कुछ खोजती आँखें पसंद तो आने लगी थीं, मगर जैसे
वह उसके लैपटॉप की तरफ हाथ बढ़ाती, रिया उसे झिड़क देती। रिया को एक तो वैसे भी यह
शहर पसंद नहीं था, यहाँ उसकी कोई सहेली नहीं थी, और दूसरी तरफ ये रानी आ जाती थी
उसे परेशान करने के लिए।
ऐसे ही एक दिन वह उसके घर भी पहुँच गयी थी।
“तुम?” रिया उसे देखकर चौंक गयी थी!
“हाँ दीदी!” रानी ने उसे नमस्ते करते हुए कहा
रिया को बहुत गुस्सा आया था, “तुम यहाँ क्या कर रही हो?”
“दीदी, मैं आपका कंप्यूटर देखने आई हूँ, उसमें आपने बहुत सारी तस्वीरें
सेव की हैं न, वो देखनी हैं!” रानी ने उससे कहा
“वो क्या है न, मेरे मोती को भी देखना है!” रानी ने बहुत मासूमियत से कहा
पीछे से मोती ने भौंक कर उसका समर्थन किया
रिया का बस चलता तो उसे भगा देती, मगर उसने अपनी माँ को अच्छी बेटी होने
का प्रोमिस किया था जिससे वह कक्षा 12 के बाद यहाँ से जा सके, तो उसने रानी को
अन्दर बुला लिया और उसे अपने लैपटॉप पर खूब तस्वीरें दिखाईं। रानी की बड़ी बड़ी
आँखें और बड़ी हो रही थीं, आश्चर्य से! उसने अपने साथ आए मोती से कहा “ले देख ले,
कभी देखी थीं ऐसी तस्वीरें! रंग बिरंगी! जितने रंग तुमने होली में न देखे, उतने
रंग दीदी ने हमें दिखा दिए! वैसे भी अब अगले ही महीने तो होली है!”
“लो रानी शरबत पी लो!” रिया ने उसे शरबत देते हुए कहा
“दीदी, आप होली खेलती हो?” रानी ने पूछा
“हाँ, दिल्ली में हम सब खूब होली खेलते थे, तुम्हें पता हम लैपटॉप पर भी
रंगों के साथ खेल सकते हैं!” रिया ने उसे लैपटॉप दिखाते हुए कहा
“दीदी, वह कैसे?” रानी की आँखें फिर से चौड़ी हो गईं!
“रुको!” रिया ने लैपटॉप गोद में रखते हुए कहा
“देखो!” रिया ने पेंट तस्वीरों को पेंट में खोला और उसमें रंग भर कर
दिखाए और उसके बाद उसने फोटो व्यूअर में में भी रानी को तस्वीरें दिखाईं!
“अच्छा दीदी, अब मैं चलूंगी, कल आऊँगी तो भी क्या आप दिखाओगी?” रानी ने
उससे पूछा
रिया का मन हुआ उसे डपट कर भगा दे, मगर वह ऐसा कर न सकी। उसने मुस्करा कर
कहा “ठीक है, तुम जब भी आना चाहो आ जाना”
रानी खुश होकर चली गयी और उसके पीछे पीछे उसका मोती भी!
तीन चार दिनों तक रानी रोज़ आई और रिया ने उसे पेंट, फोटो व्यूअर आदि पर
खूब तस्वीरों में रंग भरना सिखाया! रिया के लिए ये बड़े ही मजेदार दिन थे और रानी
के लिए, उसके लिए तो जैसे एक नई दुनिया ही थी। पढाई में कमजोर रानी केवल तीन चार
बार में ही रंग भरना और हटाना सीख गयी थी।
रिया को होली का वह दिन याद है जब वह बाहर बैठी बैठी रानी के साथ मोबाइल
पर खेल रही थी। पापा और मम्मी कोलोनी में गए थे और तभी कुछ लोग रंग लगाए हुए आ गए
थे। रिया और रानी के मन में उन्हें देखकर डर की एक लहर दौड़ गयी और वे अन्दर की तरफ
दौड़ीं! रानी के हाथ में रिया का मोबाइल था, रिया को उन लोगों ने पकड़ा और अपनी जीप
की तरफ बढ़ने लगे! रानी भी उनकी तरफ दौड़ी मगर वे जीप में थे, रानी केवल उनकी फोटो
ही खींच पाई! मोती लेकिन उनके पीछे पीछे गया। रिया को धीरेधीरे समझ में आ गया कि
उसको किडनैप कर लिया है। उस शहर के बाहर निकलते ही छोटा सा जंगल था। रिया को
रास्ता नहीं पता था और उसे ये भी नहीं पता था कि पापा उस तक कब तक पहुचेंगे।
इधर रानी ने जैसे तैसे रिया के मम्मी पापा को खोजा और उन्हें सारी बातें
बताईं! रिया के पापा तुरंत ही पुलिस के पास जाना चाहते थे, मगर वे फोन आने का
इंतज़ार कर रहे थे।
“अंकल मैंने उनकी फोटो ली है, पुलिस के पास जल्दी चलते हैं!” रानी ने
रिया के पापा को फोन देते हुएकहा
“मगर बेटा ये तो सब रंगे हुए चेहरे हैं!” रिया के पापा ने फोटो देखते हुए
कहा
“अंकल आप चिंता मत करिए, दीदी ने मुझे सिखाया है, फोटो से रंग हटाकर उसे
सही करना!” रानी ने रिया के पापा से कहा “अंकल इन तस्वीरों को अगर आप लैपटॉप पर कर
देंगे तो मैं जल्दी से इनका चेहरा आपके सामने ला दूंगी!”
छोटे शहर की नन्ही तेरह साल की बच्ची पर रिया के पापा को यकीन तो नहीं
हुआ मगर फिर भी उन्होंने तस्वीरों को लैपटॉप पर ट्रांसफर कर दिया।
नन्हीं नन्हीं उंगलियाँ लैपटॉप पर तुरंत चलने लगीं, जैसे किसी पियानो पर
किसी वादक की उंगली चल रही हों। पांच ही मिनट में नन्हीं रानी ने उन लोगों के
चेहरे उनके सामने रख दिए।
“अंकल अब आप ये तस्वीरें फोन में ले लीजिए और पुलिस के पास चलते हैं!”
रिया के पापा इस नन्ही बच्ची का कमाल देखकर हैरान थे, इधर वे लोग पुलिस
के पास गए और रानी के पास मोती आ गया। वह रानी की फ्रॉक खींचने लगा।
“अंकल आप लोग पुलिस स्टेशन जाइए, मोती उनके पीछे गया था वह शायद दीदी की
खबर लाया हो!” रानी ने रिया के पापा से कहा
“बेटा, तुम अकेली कैसे?” रिया की मम्मी ने पूछा
“आंटी मैं अकेली कहाँ, ये मोती है न!” कहती हुई रानी मोती के साथ भाग गयी
रिया उन लोगों से बचकर जंगल में भटक गयी थी। उसके कपडे भी फट गए थे। मगर
उसकी दौड़ने की आदत ने उसे उन लोगों की पहुचं से दूर ला दिया था। अब उसे सड़क चाहिए
थी जहाँ से वह जा सके, मगर वह भटक गयी थी। उसे समझ नहीं आ रहा था,तभी उसे रानी की
आवाज़ सुनाई दी थी। उसकी जान में जान आई!।
“सम्हल कर दीदी! देखिये सड़क आ गयी और आपके मम्मी पापा भी” रानी ने उसे
सम्हालते हुए कहा
रिया की सांस में सांस आई
“बेटा, तुम ठीक तो हो न!” रिया की मम्मी ने उसे गले लगाते हुए कहा
“मम्मी मैं तो ठीक हूँ, मगर आप लोग?” रिया ने मम्मी से चिपटते हुए कहा
“ये तुम्हारी रानी है न, इसने सब कुछ आसान कर दिया। इसने उन लोगों की
फोटो खींचीं थी, और फिर उन्हें लैपटॉप पर सही किया, हम उन तस्वीरों को लेकर पुलिस
स्टेशन पहुंचे। पुलिस वालों ने उन्हें तुरंत पहचान लिया और एक को पकड़ पर तुम्हारा
पता चला कि तुम इधर की तरफ भागी थीं।” रिया की मम्मी ने रिया को और चिपटाते हुए
कहा
“हाँ, मम्मी! ये रानी वाकई में ही रानी है!” रिया ने रानी को गले लगाते
हुए कहा
“अब से रानी भी रिया के स्कूल में पढने जाएगी और इसकी सारी फीस मैं
भरूँगा!” रिया के पापा ने रानी को गले लगाते हुए कहा
रानी और मोती आज पूरे शहर के नायक बन गए थे! और रिया को समझ आ गया था कि
छोटे शहर में सब कुछ छोटा नहीं होता, बहुत कुछ अच्छा होता है। इस बार की होली,
उसके लिए नए रंग लेकर आई थी।
सोनाली मिश्रा
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