तकनीक ने हालांकि हमारी ज़िन्दगी को बहुत ही सरल बना दिया है. पलक झपकाते ही सात समंदर पार के लोग हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाते है. सोशल मीडिया ने स्त्री को अपने विचार रखने का एक नया मंच दिया है. पहले जहाँ वह अपने विचारों को बताने से हिचकती थे, वह अब खुलकर अपने विचार रखने लगी है.
इन्टरनेट ने स्त्रियों के लिए स्वतंत्रता के नए द्वार खोले हैं, पर हां इसका एक बहुत ही बड़ा नुकसान भी हमारे सामने आया है, बढ़ती हुई पोर्न साइट्स ने स्त्रियों को बदनाम करना बहुत ही सरल कर दिया है. कुछ भी नहीं करना बस, उनका नाम किसी भी पोर्न साईट पर डालना है और जैसे ही एक दो फोन आने लगे, स्त्री घबराकर कुंठित होने लगेगी. और जिसने भी ये काम किया होगा उससे घबराकर हार मान लेगी.
हो सकता है कुछ ही मामलों में ऐसा होता हो. पर अब स्थितियां भिन्न हैं क्योंकि स्त्रियों में लड़ने की ताकत आ रही है. पर हाँ, ये शोर मचाने से नहीं होगा, नहीं तो कौमार्य की बोली लगाने वाले बहुत हैं. पहले एक सच्ची घटना के बारे में बात करते हुए आगे बढ़ेंगे. (गोपनीयता बरतने के लिए नाम नहीं दे रही हूँ).
मेरी सहेली एक बहुत ही बड़े कोर्पोरेट में नौकरी करती थी. पहनावा एकदम भारतीय यानी साड़ी या सूट रहता था. ऑफिस का ही एक व्यक्ति जो दुर्भाग्य से उसी विभाग में था जो उससे काफी अश्लील बातें करता था.
उसने हमेशा इग्नोर किया, एक दिन उसने उससे कहा “मैडम, जो पजामी आप पहन कर आई हैं, उसमें पता नहीं चलता कि लिखा क्या है?” डिज़ाईनर पजामी थी, उसकी एक मित्र मुम्बई से वह सूट लाई थी. उसमें कुछ अक्षरों जैसी डिजाइन थी. और यह बात उन सज्जन ने पूरे विभाग में सबके बीच में कही. लगभग पचास लोग और हॉल में ठहाके लगने लगे.
द्विअर्थी मुस्कान सबके चेहरे पर फैलने लगी. आखिर स्त्री के साथ द्विअर्थी मजाक हो रहा है, तो पचास में से चालीस लोग तो आनंद उठाएंगे ही. सुनते ही उसके अंदर जो आग लगी, उसने कहा “सर, मेरी पजामी में क्या लिखा है वह अपने केबिन से देखने की जगह ये देखोगे कि मैंने MIS में क्या लिखा है, तो शायद मेरे लिए काम थोड़ा कम हो जाएगा.”
पिनड्राप साइलेंस जिसे कहते हैं वह पूरे हॉल में हो गया. कई महिला सहकर्मियों ने उसे सलाह दी, कि वह ऐसा न करे, क्योंकि वह डायरेक्टर का मित्र है. पर वह नहीं डिगी. कुछ दिनों के बाद उसके एक्स्टेंशन पर अजीबो गरीब फोन आने लगे, जैसे “रात को समय काटे नहीं कट रहा तो हम आ जाएं” और अश्लील गालियाँ. उस समय वह पांच माह की गर्भवती थी. उसे समझ में नहीं आया. दो दिन तक यही सिलसिला चला, फिर उसे लगा कुछ तो गड़बड़ है. इंटरनेट पर चेक किया. तो पता चला कि किसी ने उसका नाम एक पोर्न साईट पर डाल दिया था. और बहुत ही अश्लील सन्देश डाला था.
उसके पाँव के नीचे से जमीन जैसे किसी ने खींच दी. जैसे किसी ने भरी सड़क पर उसकी साड़ी उतार दी हो और वह द्रौपदी की तरह असहाय हो गयी है. दो पल तो उसे लगा कि क्या करूँ? अपमान के आंसूं उसकी आँखों से बह निकले, पर अगले ही क्षण जैसे उसके अन्दर से किसी ने आवाज़ दी, कि रोना क्यों? उसकी क्या गलती? उसने आंसू पोंछें, और घर आ गयी.
अपने भाई को फोन किया जो वकील है, उसने कहा पहले तो घबराना बंद करो, कल जाओ साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराओ, और मुझे बताओ. असली संघर्ष फिर आगे वाले तीन दिन का था. वह पांच माह का गर्भ लेकर पुलिस स्टेशन जाती क्या? अगले दिन ऑफिस पहुँच कर बॉस को बताया, बॉस ने उन सज्जन को बुलाया, तो उसने सबसे पहले कुटिल मुस्कान लाते हुए कहा “मैडम, आपके किसी पर्सनल दुश्मन का काम होगा” उसने कहा.
“सर, पिछले तीन महीने की फोन लिस्ट निकालो और देखो, अगर मैंने एक भी पर्सनल फोन किया होगा तभी मेरे दोस्तों के पास होगा यह नंबर, नहीं तो यह ऑफिस से ही किसी की हरकत है.” वह झेंप गया.
बोला “इस लाइन को बंद करा देता हूँ, खुश” उसने कहा “नहीं, खुश नहीं, मुझे ऑफिस से लीगल हेल्प चाहिए, कि कैसे इस वेबसाईट के खिलाफ कदम उठाना है” अब बारी उसके बॉस के चौंकने की थी. बोले “क्या बात है? तुम ऐसी हालत में पुलिस के पास?” उसने कहा “सर, ये मेरा चरित्र हनन है, किसी ने अपनी शरारत से मुझे एक वैश्या बना दिया है, और आप चाहते हैं, मैं कोई कदम न उठाऊँ? मैं पुलिस में जरूर जाऊंगी, आप ऑफिस से लीगल मदद दिलाएं या फिर मैं खुद करूँ?”
फिर लीगल टीम ने उसे समझाया “मैडम, ये आपके चरित्र के बारे में गलत सिग्नल देगा, कि कैसा कैरेक्टर है?” उसने कहा “मेरा कैरेक्टर कैसा है, ये आप न मुझे समझाएं, मेरी मदद करें. मुझे साइबर सेल से शिकायत कराने में मदद करें. अपने कैरेक्टर के बारे में मुझे किसी से कोई प्रमाणपत्र नहीं चाहिए?, वैसे भी चरित्र और शरीर की पवित्रता दो अलग चीज़ें हैं” जैसे एक छन्न से किसी ने कोई शीशा तोड़ दिया हो.
अरे गज़ब, एक कॉटन की साड़ी पहनने वाली महिला ऐसी भी हो सकती है, शायद उन मॉडर्न स्कर्ट पहनने वाली लड़कियों ने सोचा नहीं होगा, जो उसे शरीर और पवित्रता का सम्बन्ध समझाने का प्रयास कर रही थी. उसे हर तरह से समझाया गया कि पुलिस में जाने से उसके चरित्र पर उंगलियाँ उठेंगी, और वह दुनिया के सामने चरित्रहीन साबित हो जाएगी.
कितना आसान होता है, पुरुषों के लिए किसी भी स्त्री को चरित्रहीन ठहरा देना. बस उस एक व्यक्ति के कारण मेरी सहेली वैश्या बनने की कगार पर खड़ी थी, और इस द्वन्द के बीच में से पेट में भी जो जीव था वह हाथ पैर चला कर अपनी उपस्थिति का अहसास कराता और सिर से लेकर नीचे तक पूरे बदन में दर्द और अपमान की एक तीव्र लहर दौड़ जाती. उफ, वे तीन दिन, और उन तीन दिनों में पूरे ऑफिस वालों की आँखों का सामना. उसने सब कुछ छोड़ कर न्याय पाने का मार्ग अपनाया.
उसने साफ मैनेजमेंट से कह दिया, किसी ऑफिस के ही व्यक्ति का काम है, क्योंकि ऑफिस का नंबर दिया है. अगर मेरा मित्र करता कोई तो मेरा मोबाइल नंबर देता. ये बात मैनेजमेंट को समझ में आई. और अंतत: पांच दिन बाद उसे पुलिस के पास जाने की व्यवस्था ऑफिस से ही की गयी. उसने शिकायत दर्ज की. हालांकि उसे पता था कि किसने किया, पर मैनेजमेंट ने इसी शर्त पर उसे पुलिस के पास जाने दिया कि रिपोर्ट नामजद नहीं होगी, क्योंकि ऑफिस का नाम बदनाम होगा.
दो दिन के बाद उसके पास पुलिस से फोन आया कि उन लोगों की पहचान कर ली गयी थी जिन्होंने उस नंबर पर फोन किया था और उन लोगों की सम्बन्धित थानों में इतनी ठुकाई हुई कि वे कभी शायद इंटरनेट को ही हाथ न लगाएं और उसके एक सप्ताह बाद उसे पता चला कि वह वेबसाईट भी बंद हो गयी. और इसी बीच में उससे उन्हीं सज्जन व्यक्ति ने कहा “मैडम, आपका नाम अब उस वेबसाईट पर नहीं है”.
उसने कहा “सर, पुलिस का डंडा होता ही ऐसा है, अच्छे अच्छों को गायब कर देता है और ये तो वेबसाईट पर मेरा नाम था”. ये एक सप्ताह का समय उसके लिए एक ऐसे संघर्ष के रूप में सामने आया जिसमें उसके चरित्र पर उंगली उठी, उसके चरित्र हनन का प्रयास हुआ और मैं कहूंगी कि चरित्र हनन हुआ. उसे वैश्या बनाने में उस व्यक्ति ने कोई भी कसर नहीं छोडी.
पर उसके इस एक सप्ताह के संघर्ष का ये परिणाम हुआ कि उसे पुलिस वालों ने भी धन्यवाद व्यक्त किया कि आपके साहस के कारण न जाने कितनी लड़कियों के साथ खिलवाड़ रोका जा सका और उस ऑफिस में भी महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं को कोर्पोरेट में उनके सुरक्षा नियमों और आत्मरक्षा के गुर सिखाए गए.
यहाँ पर इस किस्से को बताने का मेरा उद्देश्य केवल इतना ही है कि स्त्रियों को अब बदनाम करना कितना सरल और सुगम हो गया है, कितने नए नए मार्ग खुल गए हैं. उन्हें आप केवल देह के कारण चरित्रहीन साबित कर दें, क्योंकि आप किसी से बौद्धिक रूप से नहीं जीत सकते तो आप उसे ऐसे हराइये. आप उसे दुनिया की नज़र में ऐसे चरित्रहीन साबित कर दें और वह इस कारण घर से ही बाहर न निकल सके.
जैसा पहले होता था, दुपट्टा खींच लो और उसे हरा दो. पर समय के साथ स्त्रियों ने जैसे ही घर की चौखट लांघ कर स्वयं को स्थापित करना शुरू किया तो जैसे आपकी तो सत्ता ही हिल गयी और आपने उसे अपमानित करने के नए नए तरीके खोज लिए. जब आप उसे प्रतिभा से नहीं परास्त कर सके तो आपने छल का सहारा लिया पर आप भूल गए कि अभी वह द्रौपदी की तरह केवल श्राप ही नहीं देगी बल्कि वह शस्त्र भी स्वयं ही उठाएगी.
वह शरीर को पवित्र मानती है, पर उस पवित्रता को लेकर रोएगी नहीं. अगर आप केवल शरीर को लेकर उसे दोराहे पर खड़ा करेंगे या फिर आप अगर ऐसा कुछ करेंगे जिससे उसे अपने शरीर को लेकर किसी अपमान का सामना करना पड़े, उसमें कुंठा उत्पन्न हो तो अब वह नहीं करेगी.
अब वह अपने शरीर से जुड़ी किसी समस्या को एक टैबू नहीं बनाएगी. वह लड़ेगी, वह अब आपसे अपने शरीर के बारे में प्रमाणपत्र हासिल नहीं करेगी. क्या कहा, फिर लोग उसे चरित्रहीन मानेंगे? तो चरित्रवान मान कर ही क्या करते हैं? आप अगर किसी स्त्री को चरित्रवान मानते हैं तो क्या आपका मन उसे भोगने का नहीं होता?
अगर हां, तो भोगा आपने है उसे अपने मन में, अपवित्र तो आप हुए, उसमें स्त्री का क्या दोष? स्त्री को आप जानते हैं कि केवल मनोबल ही तोड़कर हरा सकते हैं, तो आपने इस तकनीक का प्रयोग स्त्री का मनोबल तोड़ने के लिए कर दिया. और कुछ हद तक आप इसमें सफल भी रहे हैं. आज कुछ स्त्रियाँ भय खाने लगी हैं. भय खाने लगी हैं इंटरनेट के प्रयोग करने से. वे भय खाने लगी हैं इस तकनीक से. उन्हें भय है निजता खोने का और सबसे अधिक भय है उन्हें अपने चरित्रहीन होने का.
कितना आसान है, सोशल साईट से किसी का भी चेहरा लेकर उसे किसी नग्न तस्वीर के शरीर पर लगाना. और आजकल तो ये बदला लेने का बहुत ही सरल माध्यम हो गया है. स्त्री के कोमल ह्रदय के अन्दर देह के प्रति शुचिता का भाव इस कदर व्याप्त है कि वे सोच ही नहीं पाते इससे इतर.
घर के अन्दर जिन छोटी छोटी बच्चियों के साथ गलत होता है, उसमें भी देह के प्रति जुड़ी शुचिता होती है. मेरी एक सखी थी, जब हम सब अपनी किशोरावस्था में कदम रख ही रही थी, तो उसके साथ हादसा हुआ और वह अपने में ही सिमट गयी. जब वह सो रही थी तो उसके फुफेरे भाई ने उसके उभरते हुए वक्षों को मुट्ठी में लेकर एकदम से मसल दिया. उसने आँखें खोलकर डरकर देखा तो उसकी रजाई में उसका फुफेरा भी घुसा हुआ था. और उसके वक्षों को कस कर मसल रहा था. और उसकी जींस खोलने की कोशिश कर रहा था.
वह क्या करती? उसने आँखें खोली, उसका भाई बोला “अरे आप जाग रहे हो, सॉरी” और कहकर वह भाग गया और वह रह गयी, अपनी अस्तव्यस्त सांसों को सम्हालती हुई. एक ऐसे भय से कांपती हुई जिसे वह किसी को बता भी नहीं सकती थी. अगले दिन जैसे ही उसने अपनी बुआ से कहा, उसकी बुआ ने उसे ही चरित्रहीन ठहरा दिया, मात्र तेरह वर्ष की लड़की, और चरित्रहीन, क्या शब्द, क्या गाली? उसकी बुआ ने या घर वालों ने एक बार भी यह नहीं सोचा कि उसके कोमल मन पर जो प्रभाव पड़ा है, उसका परिणाम क्या होगा?
हालांकि मैं उस समय भी बहुत लड़ाका थी तो मैंने बहुत समझाया उसे, कि जाओ और सबके सामने अपने भाई के मुंह पर थप्पड़ लगाकर सबक सिखाओ, जो तुम्हें सबके साथ मिलकर चरित्रहीन कह रहा है, पर वह नहीं कर सकी.
कैसा समाज है? कैसे लोग हैं हम? हम आखिर चाहते क्या हैं? स्त्री को केवल देह तक मानने की जो हमारी विचारधारा है कब बदलेगी? कब हम मानेंगे कि स्त्री भी एक इंसान है? उसकी भावनाएं हैं. आपने उसे अपमानित करने के जो नए तरीके खोजे हैं, उससे अब वह अपमानित होने वाली नहीं है. हाँ वह एक पल को झिझकेगी कि कैसे वह विरोध करे? कैसे वह विद्रोह करे? पर वह विद्रोह करेगी? उसे आप जितना देह के आसपास लाएँगे वह उतना ही देह के सिद्धांतों का विरोध करेगी. आपने देखा होगा आप स्प्रिंग को जितना दबाते हैं वह उतना ही ऊपर जाती है.
और अब आपने उसे दबाने का घिनौना कार्य तकनीक के हवाले कर दिया? आपको तनिक भी लाज न आई अपनी अकर्मण्यता छिपाने में? आपने कितने सहज तरीके से कह दिया कि अरे आपका नाम तो पोर्न वेबसाईट में है, तो आप कैसे जमाने को मुंह दिखा पाएंगी? पोर्न वेबसाईट में मेरा नाम है, ये बात पुरुषों को कैसे पता चली? क्योंकि देह के भूखे आप हैं? देह के पुजारी आप है! देह के आसपास केवल आप ही घुमते हैं हम नहीं!
अगर आपमें देह की भूख नहीं है तो आप पोर्न वेबसाईट पर क्या करने जाते हैं? जाहिर है भजन गाने तो जाते नहीं होंगे? आप अपनी कुंठा को शांत ही करने जाते होंगे? पर आपने पोर्नवेबसाईट पर जाने का आरोप किस पर लगा दिया? स्त्री पर? चरित्रहीन किसे बना दिया? स्त्री को? वैश्यालय में जाकर किसी का शरीर खरीदने वाला तो चरित्रवान रहा पर शरीर बेचने वाली चरित्रहीन हो गयी?
कैसी चतुरता से आपने केवल पवित्रता का पैमाना देह कर दिया और हमें उस सलीब पर टांग दिया. और आप चाहते हैं कि हम अब भी टंगे रहें, नहीं अब नहीं. अब आप चाहें तकनीक का सहारा लेकर हमें बदनाम करने का प्रयास करें या फिर किसी और का, अब हम बदनाम होने वाले नहीं हैं. हम लड़ेंगे अब.
देह की सीमाओं से परे हमारा चरित्र है, और आप जो किसी भी स्त्री की आत्मा तक को भोगने की ख्वाहिश करते हैं, हमें पवित्रता की परिभाषा समझाएँगे, तो हम ऐसे किसी भी चरित्र प्रमाणपत्र को लेने से इंकार करते हैं. मैं विद्रोह करती हूँ, मैं ऐसे हर उस प्रमाणपत्र को जलाती हूँ, जो केवल मुझे मेरी देह के आधार पर चरित्र का आंकलन करता है.
आप हर उस माध्यम का सहारा लेकर हमें बदनाम करने का प्रयास करते रहें, हम अब इतने वर्षों के संघर्ष की जमीन छोड़ने के लिए तैयार नहीं. आप बदनाम करिए, हम प्रतिकार करेंगे. और अब हम इस बात को भी स्वीकार नहीं करेंगे कि अमुक लड़की शराब पीती है, छोटे छोटे परिधान पहनती है, अत: वह चरित्रहीन है. आप ही इंटरनेट पर बैठकर उसके छोटे छोटे कपड़ों को फोटोशोप से और छोटा करते हैं. है कि नहीं? और उसके अंत:वस्त्रों की रेखाओं को भी देखना चाहते हैं. आप अपनी कुंठा शांत करना चाहते हैं.
पिछले साल एक अभिनेत्री के क्लीवेज पर बहुत विवाद हुआ था. अपने तकनीक के माध्यम से इस प्रकार ज़ूम करके दिखाया कि उस अभिनेत्री का भी दर्द झलक आया. पर आपको कहाँ परवाह है, स्त्री मन के दर्द की. आप तो आप हैं.
पर अब करने का समय आ गया है. अब आप देह की देहरी बनाते रहिये, हम उन देहरियों को तोड़कर आगे बढ़ते रहेंगे. हम जाएंगे आगे, आपकी हर प्रकार की कुंठा से बहुत दूर, आपकी उम्मीदों से बहुत आगे. आप बनाते रहिये षडयंत्र, और हम हर छलावे को तोड़कर आगे बढ़ेंगे.
इंटरनेट पर बैठकर जहाँ हम अपने लिए आकाश खोजेंगे तो वहीं अब यह आप पर है कि आप इसे हमारी अभिव्यक्ति को रोकने के रूप में प्रयोग करना चाहते हैं या फिर अपने लिए उन्नति के द्वार खोलने के लिए. सोचिये जरा. बांचिये जरा, तब तक हम एक बूँद सांस लेकर आते हैं, आई मीन, फेसबुक और ट्विटर पर चहचहा कर आते हैं.
– सोनाली मिश्र
़ बहुत जबरदस्त। इसी साहस से लिखते रहिए। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया. आप सबका साथ है
हटाएंबहुत बढ़िया सोनाली। यह केवल तुम्हारी सहेली नहीं, लगभग हर लड़की या स्त्री के साथ का दर्द है। स्त्री देह से अलग व्यक्ति कब बनेगी, पता नहीं। बहुत बढ़िया। लिखती रहो।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया विभा जी
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