रविवार, 20 नवंबर 2016

मोदी सरकार के दो बरस और महिलाएं



नरेंद्र मोदी सरकार को आए दो बरस हो गए हैं और इन दो बरसों में आंकड़ों में कई बाजीगरी भी हो चुकी है. नरेंद्र मोदी सरकार में कुछ मंत्रालय हैं, जो बिना रुके और बिना मीडिया की नज़र में आए काम कर रहे हैं. इनमें से एक मंत्रालय महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय है, जिसमें तमाम क़दमों के साथ साथ राष्ट्रीय महिला नीति का भी मसौदा तैयार किया है. केंद्र में भाजपा सरकार के आने के बाद मंत्रालय की तरफ से कई नए कदम उठाए गए हैं. महिलाएं अब न केवल आधी आबादी हैं बल्कि वे महत्वपूर्ण वोटबैंक भी बन गयी हैं. केंद्र में भाजपा की सरकार आने से पहले महिलाओं को मोदी जी से काफी उम्मीदें थीं और उन्होंने उन उम्मीदों को पूरा करने के लिए मोदी सरकार के बनने में बहुत योगदान दिया और झोला भर कर वोट दिया. महिलाओं के मुद्दों को जो भी दल अपने घोषणापत्र में प्रमुखता से स्थान देगा, महिलाएं उसे झोली भर कर वोट देंगी. यह बात 2014 के चुनावों के बाद काफी हद तक हर विधानसभा चुनावों में देखी गयी है. दिल्ली में महिलाओं ने महिला सुरक्षा के नाम पर महिला कमांडों की नियुक्ति के लिए वोट दिया, तो बिहार में नितीश पर भरोसा जताया.
स्पष्ट है कि कोई भी दल अब महिलाओं की नाराजगी मोल नहीं ले सकता है.
मोदी सरकार ने पिछ्के दो वर्षों में महिलाओं को अपनी मुट्ठी में करने के लिए कई कदम उठाए है, जैसे:
*      पैनिक बटन ऑन मोबाइल फोन.
*      बेटी बचाओ, बेटी पढाओ
*      महिला – ई हाट
*      महिला हेल्पलाइन को एक साथ लाना
*      पंचायतों में महिला सरपंचों को प्रशिक्षण प्रदान करना
*      कार्यस्थल पर महिलाओं के शारीरिक उत्पीडन को रोकने के लिए अधिनियम
*      पुलिस बल में महिलाओं के लिए 33% का आरक्षण
*      100 वीमेन एचीवर्स कंटेस्ट
*      राष्ट्रीय महिला कोष
*      शादी वाली वेबसाईट को नियमों में बाँधना
*      राष्ट्रीय महिला नीति
इन उप्लाब्धियों के अतिरिक्त भी सरकार ने कई कदम उठाए हैं और योजनाएं शुरू की है जैसे, हाल ही में शुरू की गयी उज्ज्वला योजना. जिसमें सरकार की तरफ से गरीब महिलाओं को गैस के निशुल्क कनेक्शन दिए जा रहे हैं. इस योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा के नीचे आने वाले करीब पांच करोड़ परिवारों को एलपीजी के निशुल्क कनेक्शन दिए जाएंगे. इस योजना को पेट्रोलियम और गैस मंत्रालय के द्वारा लागू किया गया है, जिसमें मुख्य लक्ष्य महिलाओं को सुविधा प्रदान करना है क्योंकि उन्हीं का समय सबसे अधिक रसोई में व्यतीत होता है.
इसके अतिरिक्त अगर और नजर घुमाएँ तो मुद्रा योजना ने महिलाओं को अपना रोज़गार शुरू करने में काफी मदद की है. मुद्रा योजना से सिलाई इकाइयों, ब्यूटी पार्लर, डेयरी फार्मिंग, हैंडलूम जैसे असंगठित क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी में इजाफा देखा गया है।

इसके साथ ही सरकार ने पंचायतों में भी महिलाओं के लिए 50% आरक्षण की व्यवस्था है.

वैश्वीकरण के इस युग में न केवल भारत बल्कि दुनिया के हर कोने में स्त्रियां घर से बाहर निकल कर अपनी पहचान बना रही हैं. हालांकि महिलाओं को पुरुषों के समान ही अवसर मिल रहे हैं, पर फिर भी भारत में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर महिलाओं को अभी भी काफी उपेक्षा का सामना करना होता है. कई बार अकेली महिलाओं को समाज में रहने के लिए काफी संघर्ष का सामना करना होता है फिर चाहे वह घर किराए पर लेना हो, या अपने बच्चों के लिए सही स्कूल खोजना हो. 

अब बात की जाए महिलाओं के लिए महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के द्वारा उठाए गए क़दमों की तो अभी हाल ही में महिलाओं के लिए नई राष्ट्रीय नीति का मसौदा प्रस्तुत किया है. इस नीति के बारे में बोलते हुए केन्द्रीय मंत्री श्रीमती मेनका गांधी ने स्पष्ट किया कि इस नीति में खास तौर पर अकेली, तलाकशुदा, विधवा महिलाओं को ध्यान में रखा गया है, और कार्यालय जाने वाली महिलाओं के साथ साथ घर से काम करने वाली महिलाओं को ध्यान में रखा गया है.”

इस नीति के कई बिन्दुओं में से कुछ को अगर देखें तो इसके आरम्भ में ही उद्देश्य स्पष्ट कर दिया गया है कि इस नीति का उद्देश्य है एक ऐसे सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक माहौल का निर्माण करना जिससे महिलाएं अपने मूलभूत संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग कर सकें और अपनी क्षमताओं को पहचान सकें. महिलाओं के लिए शिक्षा के बेहतर अवसर उपलब्ध हो सकें. लिंगानुपात में अंतर को कम करना.

इसमें प्राथमिक क्षेत्रों में स्वास्थ्य को रखा गया है, जिसमें भोजन की सुरक्षा एवं पोषण को उपलब्ध कराने की महत्ता पर जोर दिया है.

इस नीति में महिलाओं को उन क्षेत्रों में भी क़दमों को मजबूत करने की वकालत की गयी है जहां पर अभी तक महिलाओं के योगदान को नकारा है. ऐसे ही क्षेत्र में हम कृषि को ले सकते हैं. हम सब जानते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी केवल कृषि है तो वहीं कृषि में महिलाओं के श्रमदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता है. कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर महिलाएं कमरतोड़ मेहनत करती हैं और उन्हें उनके श्रम का उपयुक्त मोल नहीं मिलता है. और यह भी देखा गया है कि महिलाएं अप्रशिक्षित होकर कार्य करती हैं, जबकि अगर उन्हें प्रशिक्षण दिया जाए तो वे कई कामों को और कुशलतापूर्वक कर सकती हैं. कृषि क्षेत्र में उतरोत्तर विकास के लिए बहुत जरूरी है कि वहां पर भी लैंगिक समानताएं को लाया जाए. अभी तक संसाधनों पर महिलाओं के अधिकारों को नहीं माना जाता था. इस नीति में ध्यान रखा गया है कि महिलाओं को न केवल संसाधनों पर हक़ मिले वहीं उन्हें सामाजिक सुरक्षा भी मिले.
कृषि क्षेत्र में महिलाओं के लिए तमाम तरह के प्रशिक्षण पर भी ध्यान दिया गया है. और प्रशिक्षण को इस योजना का हिस्सा बनाया गया है. कृषि क्षेत्र में महिलाओं को कई क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करने की योजना है जैसे मृदा संरक्षण, डेयरी विकास, बागबानी, जैविक खेती, पशुपालन, मत्स्य आदि.
महिलाओं को अचल संपत्ति पर अधिकार के बारे में भी बात की गयी है.
इस नीति में किराए की कोख की विकराल होती समस्या पर भी ध्यान दिया गया है. यहाँ यह कहा जा सकता है कि भारत में यह कारोबार बहुत ही तेजी से फैल रहा है. आज यह एक सुनियोजित तरीके से काम करने वाला क्षेत्र हो गया है पर इसमें महिलाओं की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है.
इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका गांधी का कहना है कि “सरोगेसी को लेकर एक क़ानून आएगा. जैसे ही हम इस नीति को अंतिम रूप प्रदान करेंगे और नई चीज़ों को जोड़ेंगे, वे उस नए सरोगेसी अधिनियम का हिस्सा बन जाएँगी.”
इस नीति में हर क्षेत्र की महिलाओं पर ध्यान दिया गया है और उनके अधिकारों के बारे में बात की गयी है जैसे सर्विस सेक्टर, विज्ञान और तकनीक, महिलाओं के खिलाफ हिंसा आदि.
इस नीति में महिलाओं से जुड़े हुए कई आंकड़ों पर गंभीरता से कदम उठाने की भी बात की गयी है.
इस नीति के बारे में श्रीमती मेनका गांधी का यह भी कहना है कि “इसमें महिला उद्यमियों के लिए एक महिला उद्यमी सेल का गठन भी किया जाएगा क्योंकि उद्यम क्षेत्र में अभी पुरुषों का अधिकार है”

हालांकि हाल के कुछ वर्षों में महिलाओं के लिए बनाए गए कानूनों के दुरुपयोग भी संज्ञान में आए हैं, जिनमें दहेज़ उत्पीडन एवं घरेलू हिंसा अधिनियम के दुरूपयोग पर माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी अपनी चिंता प्रदर्शित की थी एवं सुधार की बात कही गयी थी.

अगर मोदी सरकार के द्वारा उठाए गए क़दमों और इस राष्ट्रीय महिला नीति की बात करें तो कहा जा सकता है कि सरकारी स्तर पर महिलाओं के लिए तमाम कदम उठाए गए हैं.

उम्मीद की जा सकती है कि सफल क्रियान्वयन के लिए विख्यात सरकार अपने स्तर पर महिलाओं के तमाम मुद्दों पर खुलकर कार्य करेगी.


सोनाली मिश्रा
सी-208, जी 1
नितिन अपार्टमेन्ट
शालीमार गार्डन एक्स- II,
साहिबाबाद
गाज़ियाबाद




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